फनि!
क्या है तेरा परिचय?
क्या है तेरी पहचान
क्या है तेरी कहानी?
कहां से आए
कहां है जानि?
यह भयंकर है
चक्रवात वात्या
चक्रवाती तूफ़ानी
पुर्व तट अभिमानी
पृथ्वी धरा पृष्ठ
परीक्षा है
संकट, कष्ट
रचना है किसकी?
धरा की गौद में
खेलती नाचती
उन्माद मचाती
प्रक्रृति की प्रवृत्ति
रूप कैसा अपरुप
प्रक्रृति का विकार
यह महा विपत्ति!
विकट परिस्थिति
महा विपदा में
सत् साहस और संघर्ष
ही है महा संजिवनी।
महाप्रभु जय जगन्नाथ
के पावन भूमि में
प्रभु से मिलन
पराकाष्ठा जीवन
प्रियतम से विनती
ऋत
स्वयम् प्रकृति।
~ प्रबीण कुमार पति
© Prabeen Kumar Pati
© प्रबीण कुमार पति
द्रष्टव्य:
बहुत अधिक हानि
लेकर आया है फनि
विस्तार:
जीवन जावन को अति क्षय क्षति
लेकर आया है यह महा चक्रवाती
जैसे छोटा ताण्डव है
यह चक्रवात वात्या
प्राण जीवन जाते
तो भी ना कहलाती यह हत्या;
चक्रवात से बहुत अधिक हानि
लेकर आया है चक्रवाती फनि!