उन्नाव: “वो नाव जिसको ना किनारा मिला।
कुछ दुष्ट उन्हें डुबाते रहे,
असहाय बचाओ बचाओ कहती और कहते रहें,
चिल्लाती और चिल्लाते रहें,
गुहार की,
पर ना किसी काम की!
ना कोई सहारा मिला!
जो हो ना था तो बहुत हो गया!
अब क्या सर्वोच उच्चतम न्यायालय!?
आशा तो एक मात्र आश्रय था,
आशय संशय भी देर से काम आया;
स्पष्ट भी अस्पष्ट हो गया!
असहनीय कष्ट।बहुत अनिष्ट हो गया।
यह कोई न्याय ना मिला।”
“यह कहती वो कहते रहे ‘Honour छीन लिया गया’,
बहुत देर से चलो ‘Your Honour’ को ध्यान आया!”
(लेकिन जब क़ातिलाना हमला अंजाम हुआ!)
(ग़ेर तलव समाजवादी असामाजिक आरोपी
दुष्ट MLA नेता को निलम्बन हेतु
सरकार ना की विधान सभा नहीं भारतीय जनता दल को
अति विलम्ब से ख़याल आया।)
~ प्रबीण कुमार पति

Kafi bhaavnatak
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धन्यवाद शुक्रिया
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Very nice
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Thank You
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