“वो कुछ सोचते थे
हम कुछ सोचते थे
ज़िंदग़ी की कश्ती में
हम रोज़ बहा करते थे।”
प्रबीण कुमार पति
Prabeen Kumar Pati


© Prabeen Kumar Pati
© प्रबीण कुमार पति
Words of Prabeen not just pressed, but that touch and impress!
“वो कुछ सोचते थे
हम कुछ सोचते थे
ज़िंदग़ी की कश्ती में
हम रोज़ बहा करते थे।”
प्रबीण कुमार पति
Prabeen Kumar Pati
© Prabeen Kumar Pati
© प्रबीण कुमार पति