
ॐ
ॐ के विषय में तो सब जानते ही हैं/होंगे।
सर्वत्र ॐ का प्रयोग मंत्रों और शुभ कार्य में किया जाता है।
ॐ ही तो आरंभ प्रारम्भ है। आदि और अनन्त है प्रतीत है।
मैं तो अनुभव करता हूं ॐ और भी।
ॐ देखिए तो चंद्र है एक और/ऊपर। और चंद्र कौन धारण करते हैं? शिव जी महादेव प्रभु।
मुझे तो “ॐ” मैं शिव सिद्धेश्वर ही दिखाई देते हैं। सर्वव्यापी सर्वज्ञ सर्वगुणी और निर्गुण निराकार देवों के देव महादेव। ॐ में मुझे योगीयों के योगी आदि योगी महागुरु योग मुद्रा में दिखाई देते हैं। महर्षि के भाव में मुद्रा में। धीर। स्थाई अनन्त। और जो आकार प्रकार की मान्यता है कल्पना है कथन है सब तो ॐ में ही है। एकाकार। सत्यम् शिवम् सुन्दरम्
Even Trishul is OM. 🔱 ॐ
(*added)
ॐ नमः शिवाय। ॐ नमो नमः 🙏🏻 ॐ से…
~© प्रबीण कुमार पति Prabeen Kumar Pati Om Se…
