ମାଆ ମାଆ ବୋଲି କେତେ ମୁଁ ଡାକିଲି,
ମା’ ତ ଶୁଣିଲା ନାହିଁ।
ମାତୃ ମାତେ କହି ମୁଁ ଯେ କେତେ *ଆଦରିଲି,
ହେଲେ ଉତ୍ତର ମିଳିଲା ନାହିଁ।
…
*ଗୁହାରିଲି *ଖୋଜିଲି

© ପ୍ରବୀଣ କୁମାର ପତି
Words of Prabeen not just pressed, but that touch and impress!
My Raw Original on the fly composition “Ghana Ghana Tivra Hai Prem Ka Prahaar”
घन घन तीव्र है
घन घन तीव्र है
घन घन तीव्र है
प्रहार।घन घन तीव्र है (३)
प्रहारप्रेम का प्रहार (३)
तीव्र है प्रहार (२)
यह प्रेम का प्रहार (२)
The Biggest Power/Shakti in the entire Universe is the Power of Prem/Love.
© Prabeen Kumar Pati
© प्रबीण कुमार पति
हो उड़ चला
उड़ चला
तेरी कमी से
उड़ चला ;
उड़ चला
हो उड़ चला
ख़्वाबों को पूरे करने
यह उड़ चला
यह उड़ चला
यह उड़ चला ।
मंज़िल कहाँ हे
ढूंढे उसे वो
मंज़िल कहाँ हे
ढूंढे उसे वोकहाँ कैसे
उड़ चला …
‘उड़ चला
उड़ चला
उड़ चला’। (३)
~ प्रबीण कुमार पति
© Prabeen Kumar Pati
© प्रबीण कुमार पति
उन्नाव: “वो नाव जिसको ना किनारा मिला।
कुछ दुष्ट उन्हें डुबाते रहे,
असहाय बचाओ बचाओ कहती और कहते रहें,
चिल्लाती और चिल्लाते रहें,
गुहार की,
पर ना किसी काम की!
ना कोई सहारा मिला!
जो हो ना था तो बहुत हो गया!
अब क्या सर्वोच उच्चतम न्यायालय!?
आशा तो एक मात्र आश्रय था,
आशय संशय भी देर से काम आया;
स्पष्ट भी अस्पष्ट हो गया!
असहनीय कष्ट।बहुत अनिष्ट हो गया।
यह कोई न्याय ना मिला।”
“यह कहती वो कहते रहे ‘Honour छीन लिया गया’,
बहुत देर से चलो ‘Your Honour’ को ध्यान आया!”
(लेकिन जब क़ातिलाना हमला अंजाम हुआ!)
(ग़ेर तलव समाजवादी असामाजिक आरोपी
दुष्ट MLA नेता को निलम्बन हेतु
सरकार ना की विधान सभा नहीं भारतीय जनता दल को
अति विलम्ब से ख़याल आया।)
~ प्रबीण कुमार पति
ରାଜକୀୟ ରଜ!
ସଂକ୍ରାନ୍ତି ପୂର୍ବ ପହିଲି ରଜ,
ଖୁସିର ପରବ ଖୁସି ବାଣ୍ଟ
ହୋଇ ସଜବାଜ!
“ରାଜକୀୟ ରଜ”
ଖୁସିର ପରବ ଖୁସିର ମେଳ,
ସଂକ୍ରାନ୍ତି ଓ ପହିଲି ରଜ,
ରଜ ଦୋଳି ଖେଳ ରଜ ସଜବାଜ!
କେବେ ଖଟା ତ
କେବେ ମିଠା କୋଳି,
ପହିଲି ରଜ ପ୍ରଥମ ମେଳ
ଖୁସିରେ ନାଚି ଗାଇ ଉଠୁଚି
ଉଠୁଚି ପଡ଼ୁଚି ଦାଣ୍ଡ ଅଗଣା;
ଭଙ୍ଗା ଚୁନା ବଟା ପିଠା ଚାଉଳ
ପୋଡ଼ ପିଠା ସଙ୍ଗେ
ମଣ୍ଡା ଆରିସା କାକରା ପୁର
ପିଠା ପଣା ସହ
ରଜ ଭାର ଉପହାର,
ଭଲ ସବୁ ଆଉ ନିଆରା ଲାଗେ
ଯେବେ ହୁଏ ରଜ ମେଳି
ସାଙ୍ଗ ସଖୀ ସଙ୍ଗେ ଖେଳି
ଝୁମି ଝୁମି ରଜ ଦୋଳି।
😇😊💐👌🤟🙏
ପ::
ସରିବ ରଜ
ମନେ ରହିଥିବ
ରଜ ଦୋଳି ଖେଳ
ଖୁସିର ମେଳ
ପରମ୍ପରା ତଥା
ରୀତି ନୀତି କ୍ରମେ
ଚାଲିବ ହଳ
ନା ଖାଦ୍ୟର ଅଭାବ
ନା ଖୁସିର ସୀମା
ହେବ ପ୍ରଚୁର ଅମଳ…
~ © ପ୍ରବୀଣ କୁମାର ପତି
Prabeen Kumar Pati
फनि!
क्या है तेरा परिचय?
क्या है तेरी पहचान
क्या है तेरी कहानी?
कहां से आए
कहां है जानि?
यह भयंकर है
चक्रवात वात्या
चक्रवाती तूफ़ानी
पुर्व तट अभिमानी
पृथ्वी धरा पृष्ठ
परीक्षा है
संकट, कष्ट
रचना है किसकी?
धरा की गौद में
खेलती नाचती
उन्माद मचाती
प्रक्रृति की प्रवृत्ति
रूप कैसा अपरुप
प्रक्रृति का विकार
यह महा विपत्ति!
विकट परिस्थिति
महा विपदा में
सत् साहस और संघर्ष
ही है महा संजिवनी।
महाप्रभु जय जगन्नाथ
के पावन भूमि में
प्रभु से मिलन
पराकाष्ठा जीवन
प्रियतम से विनती
ऋत
स्वयम् प्रकृति।
~ प्रबीण कुमार पति
© Prabeen Kumar Pati
© प्रबीण कुमार पति
द्रष्टव्य:
बहुत अधिक हानि
लेकर आया है फनि
विस्तार:
जीवन जावन को अति क्षय क्षति
लेकर आया है यह महा चक्रवाती
जैसे छोटा ताण्डव है
यह चक्रवात वात्या
प्राण जीवन जाते
तो भी ना कहलाती यह हत्या;
चक्रवात से बहुत अधिक हानि
लेकर आया है चक्रवाती फनि!